मित्रों का साथ

अजब सी है यारी हमारी कभी होती है कड़वी 

तो कभी फूल से भी प्यारी
ज़िन्दगी के इन सालों में 
कुछ रिश्ते हैं ऐसे बुने
जैसे काँटों में से हमने हैं फूल चुने
यारों ने दी इस दिल को कुछ ऐसी खुशी
जिसका रहेगा ये दिल हमेशा प्यासा,
तुम जैसे दोस्तों से मिलकर 
देखा है मैंने ज़िन्दगी का नया रूप यारों 
कभी ना जाना हमारी खट्टी मीठी 
इस प्यारी सी यारी को भूल
किस्मतवाले होते हैं जिनका थामते हैं 
तुम जैसे प्यारे न्यारे दोस्त हाथ 
अब बस एक ही दुआ कि 
छुटे ना कभी हमारा साथ 
वादा करते हैं तुमसे हम 
होने ना देंगे कभी तुम्हारी आँखे नम 
चाँद तक भी चलेंगे साथ हम,
गज़ब का था वो दिन जिस दिन मिले थे हम
आँखे हुई भी कुछ कड़वाहटों से नम
वक्त ने भरे हैं कुछ ऐसे वो ज़ख्म कि 
आज अलविदा कहते हुए भी 
हो गई हैं हमारी आँखें नम
बीत गया बचपन कैसे तेरे संग
ये हमारी यारी के कुछ 
अलग ही रंग कुछ थे रंगे 
शैतानियों से हमारी और कुछ हमारे 
मुस्कानों  सी प्यारी अजब सी है ऐ यारी 
कभी होती है कड़वी तो कभी फूल से भी प्यारी.....

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